भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताजसिंह फिर भाजपा के साथ हो गए हैं। दो दिन पहले उनकी मुलाकात बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से हुई थी। सिंह भोपाल के दशहरा मैदान में आयोजित बीजेपी के किसान सम्मेलन में पहुंचे। पिछले दिनों राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भोपाल प्रवास पर आए थे, तब सरताज सिंह ने उनसे सीएम हाउस में मुलाकात की थी।
वे मध्यप्रदेश में सत्ता पलट के बाद ही स्पष्ट रूप से यह संकेत दे चुके थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया की वकालत करने में भी कभी पीछे नहीं रहे। यह जानते हुए भी कि वे कांग्रेस में थे। सरताजसिंह मध्यप्रदेश के उपचुनाव खत्म होने का ही इंतजार कर रहे थे, यह बात उनके समर्थक भी बता चुके हैं।
2018 के चुनाव में अपनी परंपरागत सीट सिवनी मालवा से टिकट नहीं मिलने से वे भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। यहां कांग्रेस ने उन्हें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और होशंगाबाद विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा के सामने होशंगाबाद से लड़ाया था। हालांकि भाजपा में भारी भितरघात और गुटबाजी के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी सरताजसिंह यह चुनाव हार गए थे।
इससे पहले भी अनौपचारिक चर्चा में सरताजसिंह चुनाव के मद्देनजर ‘वेट एन वॉच’ की बात मान चुके हैं लेकिन यह कहकर बात को पलटते रहे हैं कि जो भी होगा, पता चल जाएगा।
उम्र के आधार पर कटा था टिकट
भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके सरताजसिंह का टिकट 2018 के चुनाव में अधिक उम्र बताकर काटा गया था। इससे नाराज होकर कांग्रेस में चले गए लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद कभी होशंगाबाद सहित प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के सक्रिय नहीं दिखाई दिए।
नौ महीने पहले ही दे दिए थे संकेत
मध्यप्रदेश सरकार को लेकर तख्ता पलट को लेकर सरताज सिंह ने नौ महीने पहले कहा था कि ज्याेतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में जाने वाला कदम सही है। वे उनके साथ हैं। तभी से उनके भाजपा में लौटने की अटकलें थीं लेकिन कमलनाथ का सत्ता में वापसी का आत्मविश्वास देखकर उन्होंने तत्काल कांग्रेस छोड़ने का फैसला टाल दिया था। वे सिंधिया से मिलना चाहते थे लेकिन टलता रहा। अब विधानसभा में पूर्ण बहुमत में आने के बाद उन्होंने यह फैसला किया।
केंद्र और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं सरताज
सरताज सिंह भाजपा से 5 बार सांसद, 2 बार विधायक रह चुके हैं। वे केंद्र में एक बार स्वास्थ्य मंत्री तथा प्रदेश में वन व लोक निर्माण मंत्री रह चुके हैं। होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से 1989 से 1996 तक की अवधि में तीन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर नीखरा को लगातार हराया। 1998 में लोक सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अर्जुन सिंह को हराया। 1999 में लोक सभा चुनाव नहीं लड़ा। 2004 में पुन: लोक सभा चुनाव में विजयी रहे। 2008 में होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी एवं तत्कालीन विधान सभा उपाध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी को हराया। 2018 में वे सीतासरन शर्मा से हार गए।