भोपाल। पति को कोरोना होने पर 5 दिन पहले ही जेपी अस्पताल में भर्ती किया है, ना डॉक्टर देखने आते हैं और ना वार्ड ब्वॉय दवाई खिलाते हैं। नर्सों को कुछ बोलो तो वो दुत्कार देती हैं। मरीज को खाना खिलाने और बाथरूम कराने के लिए कोई तैयार नहीं है। ऐसे में मजबूरन मैं कोरोना के आईसीयू में जाकर पति को दवा और खाना खिलाती हूं। मैं जानती हूं कि मुझे संक्रमण का खतरा है, इसलिए 5 दिन से अस्पताल में ही पड़ी हूं।
घर में छोटे-छोटे बच्चे अकेले हैं। अपनी मजबूरी और अस्पताल प्रबंधन की यह लापरवाही 12 नंबर स्टॉप पर रहने वाली आशा शर्मा ने शनिवार दोपहर 2 बजे जेपी अस्पताल पहुंचे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को सुनाई। इस पर मंत्री ने अस्पताल प्रबंधन को फटकार लगाई और स्वास्थ्य आयुक्त संजय गोयल को व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को कहा। साथ ही आशा को भरोसा दिलाया कि उनके पति का बेहतर इलाज किया जाएगा। मंत्री सारंग जेपी अस्पताल में कोरोना मरीज संतोष रजक की मौत और रजक की बेटी की ओर से लगाए गए आरोपों की हकीकत देखने अस्पताल पहुंचे थे। मंत्री ने जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरके तिवारी और डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव को फटकार लगाई। मंत्री सारंग ने बताया कि मृतक संतोष रजक के मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य आयुक्त को बोला है। लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद देर शाम जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरके तिवारी को हटा दिया गया। इनके स्थान पर डॉ. राकेश श्रीवास्तव को यह जिम्मेदारी सौंपी।
मंत्री की फटकार के बाद चिरायु भेजा- मंत्री सारंग ने आशा से पूछा कि आप क्या चाहती हैं। इस पर आशा ने साफ कहा कि यहां इलाज ही नहीं हो रहा है, आप मेरे पति को चिरायु अस्पताल में शिफ्ट करा दो। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग का अमला सक्रिय हुआ और एक घंटे में एंबुलेंस से सुरेश को चिरायु अस्पताल भेज दिया गया।
इससे पहले मंत्री सारंग ने कोरोना पॉजिटिव मृतका संतोष की बेटी प्रियंका की ओर से लगाए गए आरोपों का वीडियो जेपी के सिविल सर्जन डॉ. तिवारी समेत अन्य जिम्मेदारों को दिखाया। उनसे हकीकत पूछी। इस पर उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा था कि परिजन तो झूठे आरोप लगा रहे हैं।