बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि देता है, यह बात अब गुजरे जमाने की हो चुकी है। सोमवार को यहां भी यह रूढ़ीवादी परंपरा तब टूटती नजर आई, जब एक बेटी ने बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता का अंतिम संस्कार किया। बेटी पिता की अंतिम यात्रा में श्मशान तक साथ गई और वहां उन सभी रीति रिवाजों को निभाया, जो बेटा निभाता है। नगर परिषद् के वार्ड 14 निवासी 45 वर्षीय नरेन्द्र सोनी अपनी पत्नी के साथ रहते थे। नरेंद्र सोनी की इकलौती पुत्री मुस्कान सोनी का विवाह बैतूल में हुआ है। बेटी ने पिता को बेटे की कभी कमी महसूस नहीं होने दी। पिछले कुछ माह से पिता की तबीयत खराब हो गई। पिता को लेकर बेटी द्वारा तमाम शहरों में पिता का इलाज कराया बाद में बेटी ने उन्हें भोपाल ले जाकर इलाज कराया। बेटी के तमाम प्रयास के बाद तबीयत में सुधार नहीं हुआ। रविवार देर रात उनका निधन हो गया। जानकारी मिलने पर सोमवार को रिश्तेदार, सगे संबंधी, परिचित आ गए। चिता को कौन आग देगा, यह सवाल उठने से पहले ही बेटी ने स्पष्ट कह दिया कि वह ही अपने पिता का अंतिम संस्कार करेगी। इसके बाद वह पिता की शव यात्रा में शामिल हुई। पतौवापुरा स्थित माचना नदी घाट पर पिता की चिता को मुखाग्नि दी। मुखाग्निक के बाद मोक्षधाम में नगर वासियों द्वारा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने हेतु मौन धारण किया गया।
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