बीरभूम। पश्चिम बंगाल के अपने दो दिवसीय दौरे के आखिरी दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीरभूम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने राज्य की टीएमसी सरकार को निशाने पर लेते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हम हिंसा का जवाब लोकतांत्रिक तरीके से देंगे. आने वाले चुनाव में इस सरकार को हराकर दिखाएंगे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा चरम सीमा पर है. तीन सौ से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है. इसकी जांच में एक इंच भी प्रोग्रेस दिखाई नहीं पड़ता है.
अमित शाह ने कहा, “लोकतंत्र में सभी को अपनी आवाज उठाने का हक होना चाहिए. जनता तक अपनी बात पहुंचाने का हक होना चाहिए. जो शासन में होते हैं उनकी ये जिम्मेदारी होती है कि वो ये सुनिश्चि करें कि सभी राजनीतिक दल अपनी बात जनता तक पहुंचा पाएं.”
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, “मैं मानता हूं कि भारत के सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पर ये हमला केवल भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पर हमला नहीं है, बंगाल में जो लोकतंत्र की व्यवस्था है उस पर हमला है. इसकी पूरी जिम्मेदारी तृणमूल कांग्रेस की सरकार की है. सत्ता का अहंकार जब सिर पर चढ़ जाता है तब इस प्रकार की घटनाएं आकार लेती हैं.”
अमित शाह ने कहा, “मैं टीएमसी के सभी नेताओं को बताना चाहता हूं कि किसी गलतफहमी में मत रहिए कि इस तरह के हमले से भारतीय जनता पार्टी की गति रुकेगी और वह अपने कदम पीछे ले लेगी. जितना हिंसा का वातावरण बनेगा, बीजेपी बंगाल में खुद को मजबूत करने के लिए मेहनत करेगी. हिंसा का जवाब हिंसा नहीं हो सकता. हिंसा का जवाब हम लोकतांत्रिक तरीकों से देंगे. आने वाले चुनाव में इस सरकार को हराकर दिखाएंगे.”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमला होने के बाद राज्य की मुखिया की ओर से जो प्रतिक्रिया आनी चाहिए थी, वो प्रतिक्रिया भी नहीं आई. ये चिंता की बात है. टीएमसी नेताओं के बयान इसका समर्थन करने वाले मालूम हुए.
ममता सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यहां भ्रष्टाचार भी चरम सीमा पर है. साइक्लोन के राहत का जो पैसा भारत सरकार भेजती है, उसमें भी भ्रष्टाचार हुआ. कोरोना काल में पीएम नरेंद्र मोदी ने जो भोजन भेजा उसकी बोरियां की बोरियां गायब हो गईं. गरीब लोग भूखे रहे. इसकी जिम्मेदारी किसकी है?